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इस चमत्कारी तिथि पर जप-तप दान करने का मिलता है 32 गुना फल

मार्गशीर्ष माह में पूर्णिमा तिथि को बहुत चमत्कारी माना गया है। माना जाता है कि इस पूर्णिमा पर चंद्रदेव को अमृत की प्राप्ति हुई थी। इस तिथि पर चंद्र पूजन किया जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पूर्णिमा को अगहन पूर्णिमा, बत्तीसी पूर्णिमा, मोक्षदायिनी पूर्णिमा नामों से भी जाना जाता है। 

पूर्णिमा पर चंद्रमा, भगवान श्रीकृष्ण एवं भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन जरूरतमंदों को दान अवश्य दें। दिन ढलते समय घर के मंदिर और तुलसी के पास दीपक जलाएं। रात्रि में चंद्र दर्शन करें। चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करें। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण, भगवान श्री हरि विष्णु और चंद्र मंत्रों का जाप करें। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सुबह घर की साफ-सफाई कर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। मुख्य द्वार पर आम के पत्तों या अशोक के पत्तों का तोरण लगाएं। घर की दहलीज पर हल्दी व कुमकुम लगाएं। घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर अक्षत की छींटे लगाएं। पूर्णिमा तिथि माता लक्ष्मी की तिथि मानी गई है। इस दिन माता लक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजा करने और खीर का भोग लगाने से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धन वैभव में वृद्धि होती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन जप तप व दान का विशेष महत्व है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्य का फल अन्य पूर्णिमा के मुकाबले 32 गुना ज्यादा मिलता है, इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन तिल, कंबल, गुड़, घी, फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए। पूर्णिमा के दिन सुबह-शाम कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। पूर्णिमा के दिन तुलसी की पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है। सुबह तुलसी को जल देने के बाद उसकी जड़ की मिट्टी का तिलक लगाने से भाग्य में वृद्धि होती है। शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं।