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सूर्यदेव एक महीने के अंतराल पर एक से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। सूर्यदेव के गोचर को संक्रांति कहा जाता है। सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसे मीन संक्रांति कहा जाता है। शास्त्रों में मीन संक्रांति का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान सूर्य की विधि- विधान से पूजा-अर्चना करने से सूर्यदेव आरोग्यता का वरदान देते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। 

सूर्य संक्रांति के दौरान पवित्र नदियों में स्नान, दान, तप करने पर विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्यदेव की उपासना करने से जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मीन संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है। इस दिन सुबह जल्दी से उठकर भगवान सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। उगते हुए सूर्यदेव को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य प्रदान करें। जीवन से नकारात्मकता को दूर करने के लिए इस दिन आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें। श्रद्धा के साथ भगवान सूर्य की पूजा करें। संक्रांति के दौरान दान का विशेष महत्व है। इस दिन वस्त्र, तिल और अनाज का दान कर सकते हैं। मीन संक्रांति के दिन गाय को चारा खिलाना भी शुभ माना जाता है। इस दिन पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए पूजा करें। घर पर पूजा के समय धूप, दीप, फल, फूल, मिष्ठान आदि से आराधना करें। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है। 

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