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इस दिन मौन रहकर करें उपवास, प्रसन्न होंगे शनिदेव, दूर हो जाएंगे कष्ट

माघ माह में शनिवार के दिन अमावस्या का होना बहुत विशेष माना गया है। इस शुभ संयोग को स्नान-दान का महापर्व कहा गया है। इस दिन किए पुण्य कर्म से यज्ञ के समान शुभ फल प्राप्त होता है। माघ माह में कृष्ण पक्ष अमावस्या को मौनी अमावस्या नाम से जाना जाता है। इस दिन मौन रहकर जप, तप, साधना, पूजा पाठ किए जाते हैं। इस दिन दान पुण्य करने से सभी प्रकार के कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि के आदि पुरुष महाराज मनु का जन्म हुआ था। इस कारण भी इसे मौनी अमावस्या नाम से जाना जाता है। 

माघ माह की अमावस्या तिथि पर स्नान दान का महत्व ग्रंथों में बताया गया है। अमावस्या तिथि को पर्व कहा गया है। इस दिन तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान करने से हर तरह के दोष दूर हो जाते हैं। अमावस्या शनिदेव की जन्म तिथि भी है। अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से पितर पूरे साल के लिए संतुष्ट हो जाते हैं। इस संयोग पर भगवान शिव, श्री हरि विष्णु तथा पीपल की पूजा करने से जीवन में खुशहाली आती है। अमावस्या के दिन भक्तों पर शनिदेव की कृपा बरसती है। इस दिन स्नान-दान, पितरों के लिए श्राद्ध और पूजा-पाठ अवश्य करना चाहिए। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करें। शनिदेव की कृपा पाने के लिए व्रत रखें। जरूरतमंदों को भोजन कराएं। शनिश्चरी अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं। मान सम्मान व धन वैभव की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। पितृ दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन अक्षत और दूध की खीर बनाएं। गोबर के जलते हुए उपले पर पितरों के निमित्त खीर का भोग लगाएं। पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले लें।