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इस दिन से फिर सृष्टि का संचालन करेंगे पालनहार, अवश्य करें यह उपाय

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कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्री हरि विष्णु चार माह की निद्रा से जागृत होते हैं और सृष्टि का संचालन फिर से आरंभ करते हैं। इस दिन चार महीनों से जो भी मांगलिक कार्य रुके हुए रहते हैं वह इस एकादशी से फिर से आरंभ हो जाते हैं। इस दिन को देवउठनी एकादशी कहा गया है। यह पावन व्रत रखने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन वास्तु में बताए गए कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए। आइए जानते हैं इनके बारे में। 

इस एकादशी पर सुबह स्नान आदि से निवृत होने के बाद भगवान श्री हरि विष्णु का केसर और दूध से अभिषेक करें। शंख, चक्र और गाय के पैर बनाएं। तुलसी के साथ आंवले का गमला लगाएं। तुलसी को वस्त्र आदि से सुशोभित करें। तुलसी के चारों ओर दीपदान करें। एकादशी के दिन श्रीहरि को तुलसी अर्पित करने से दस हज़ार गोदान के बराबर फल प्राप्त होता है। महिलाओं और बुजुर्गों के सम्मान से श्री हरि प्रसन्न होते हैं। इस दिन किसी पर भी क्रोध न करें। जमीन पर चटाई बिछाकर शयन करें। मन में गलत विचारों को न आने दें। इसी दिन तुलसी विवाह भी संपन्न किया जाता है। इस त्योहार पर गायत्री मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य अच्छा होता है। इस एकादशी पर श्री हरि के मंदिर में नारियल और बादाम अर्पित करें। एकादशी के दिन पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज भगवान श्री हरि को अर्पित करें। देवोत्थान एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और पेड़ के नीचे शाम को दीपक जलाएं। आर्थिक समस्याओं ने घेर रखा है तो देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा कर कुछ पैसे अर्पित करे। पूजा के उपरांत इन पैसों को तिजोरी या पर्स में रख लें। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु को तुलसी के पत्ते के साथ सफेद रंग का भोग जरूर अर्पित करें। 

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।