मार्गशीर्ष माह भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय है। भगवान श्रीकृष्ण और भगवान श्रीराम की भक्ति के लिए यह माह बहुत शुभ माना गया है। इसी माह भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। मार्गशीर्ष माह में शंख की पूजा का विशेष महत्व है। इस माह शंख की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। मांगलिक कार्यों के लिए मार्गशीर्ष माह बहुत शुभ माना जाता है। इस माह के अंतिम दिन पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है, इसलिए इस माह का नाम मार्गशीर्ष रखा गया।
इस माह में ही भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही सतयुग का आरंभ हुआ और इसी माह महर्षि कश्यप ने कश्मीर प्रदेश की रचना की। इस मास में कान्हा के दर्शन मात्र से हर कामना पूर्ण हो जाती है। इस माह जो व्यक्ति प्रतिदिन बाल गोपाल की विधिवत पूजा करता है उसकी हर कामना पूर्ण हो जाती है। मार्गशीर्ष माह में यमुना में स्नान करना शुभ फलदायी है। इस माह श्रीमद्भागवत गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। मार्गशीर्ष माह में कान्हा को तुलसी, मोरपंख अर्पित करने से समस्त दोष समाप्त हो जाते हैं। इस मास में एक समय ही भोजन करना चाहिए। मार्गशीर्ष मास में उपवास करने से मनुष्य रोग रहित हो जाता है और धन-धान्य से संपन्न होता है। इस माह कई व्रत और त्योहार आते हैं। काल भैरव अष्टमी, उत्पन्ना एकादशी, विवाह पंचमी, नंदा सप्तमी, मोक्षदा एकादशी और अनंग त्रयोदशी इसी माह मनाई जाती हैं। इस माह पूर्णिमा के दिन दत्त जयंती मनाई जाती है। इस माह प्रात: काल ॐ नमो नारायणाय और गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। इस माह में भोजन में जीरे का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस माह सत्यनारायण कथा का पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।