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इस व्रत का पालन करना माना जाता है कर्तव्य, हर क्षण करें पालनहार का स्मरण

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को प्रबोधिनी या देवउठनी एकादशी कहा जाता है। यह तिथि चतुर्मास की अवधि के अंत का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान श्री हरि विष्णु शयनी एकादशी को शयन करते हैं और प्रबोधिनी एकादशी पर जागृत होते हैं। प्रबोधनी एकादशी को कार्तिकी एकादशी, कार्तिक शुक्ल एकादशी और कार्तिकी नाम से भी जाना जाता है। देवोत्थान एकादशी के दिन व्रत करना प्रत्येक सनातनधर्मी का कर्तव्य माना गया है। शयन से श्री हरि के जागृत होने के बाद इस एकादशी से सभी शुभ तथा मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।

देवउठनी एकादशी पर सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को स्वच्छ करें और पूजा स्थल या आंगन में चौक बनाकर भगवान श्री हरि के चरणों को अंकित करें। भगवान श्री हरि को तिलक लगाएं। फल एवं नए वस्त्र अर्पित करें। मिष्ठान का भोग लगाएं। देवउठनी एकादशी की कथा सुनें और भगवान श्री हरि की आरती करें। देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी के साथ तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन देवी वृंदा को मिले वरदान की वजह से भगवान श्री हरि विष्णु ने शालिग्राम स्वरूप में तुलसी से विवाह किया था। इस दिन श्रद्धा और आस्था के साथ व्रत कर पूरी रात जागरण करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। एकादशी व्रत और पूजन करने से कुंडली में मौजूद चंद्र दोष दूर हो जाता है। प्रबोधिनी एकादशी पर शाम के समय विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर शंख बजाकर भगवान श्री हरि को आमंत्रण दे। पूरी रात श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि का स्मरण करें। एकादशी के दिन भगवान श्री हरि को भोग के रूप में गन्ना अर्पित करें। एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु को केले का भोग लगाने से घर में हमेशा धन-समृद्धि बनी रहती है। माता लक्ष्मी को जल सिंघाड़ा प्रिय है। एकादशी के दिन मां लक्ष्मी को जल सिंघाड़े का भोग लगाएं। ऐसा करने से कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होगी। दूध, दही, शहद, शक्कर और घी मिलाकर पंचामृत बनाएं और भगवान को भोग लगाएं। प्रसाद के रूप में तुलसी के पत्तों को अवश्य अर्पित करें। एकादशी के दिन भगवान श्री हरि को दूध का भोग लगाने से कुंडली से चंद्र दोष दूर हो जाता है। 

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।