Hindustan Hindi News

इस व्रत को करने से असंभव कार्य भी हो जाते हैं संभव

मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी के दिन भगवान सूर्यदेव को समर्पित मित्र सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है। सृष्टि में सकारात्मकता के देव सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है। सूर्यदेव मित्रों के समान प्रेरणा देते हैं और सकारात्मकता प्रदान करते हैं। मित्र सप्तमी का व्रत सभी सुख और समृद्धि को प्रदान करने वाला है। इस व्रत को करने से नेत्र ज्योति तेज होती है और चर्म रोग दूर हो जाते हैं। इस विशेष तिथि पर वास्तु में बताए गए कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए, आइए जानते हैं इनके बारे में। 

मित्र सप्तमी के दिन पवित्र नदी में स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करें। इस दिन सूर्यदेव की किरणों को अवश्य ग्रहण करना चाहिए। इस दिन फल, दूध, केसर, कुमकुम बादाम आदि से सूर्यदेव की पूजा करें। इस दिन तेल और नमक का त्याग करें। रविवार और भगवान सूर्य की प्रिय तिथि सप्तमी को नीले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। मित्र सप्तमी का व्रत कठिन कार्यों को भी संभव बनाने की शक्ति रखता है और शत्रु को भी मित्र बनाने की क्षमता रखता है। इस दिन सूर्यदेव का पूजन कर आदित्यहृदय स्तोत्र या सूर्यदेव के मंत्र ऊं मित्राय नम: का जाप करें। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करने से समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है। मित्र सप्तमी के दिन फलाहार करें। मित्र सप्तमी के दिन भगवान सूर्यदेव के सात घोड़ों पर विराजमान चित्र या मूर्ति का पूजन करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। इस दिन लाल चंदन का तिलक मस्तक पर धारण करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है। मित्र सप्तमी व्रत से मनुष्य कठिन से कठिन कार्यों को भी संभव बनाने में सक्षम हो जाता है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।