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इस व्रत में हर क्षण करें श्री हरि का स्मरण, दूर हो जाएगा दुर्भाग्य

सनातन धर्म में एकादशी तिथि को बहुत शुभ माना गया है। एकादशी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु की प्रिय तिथि माना गया है। इस दिन किए दान-पुण्य का अखंड फल प्राप्त होता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीहरि की सच्चे मन से आराधना करने से दुर्भाग्य से पीछा छूट जाता है। 

एकादशी तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर किसी मंदिर में स्थित पीपल या बरगद के पेड़ को पानी से सींचें तथा देसी घी का दीपक जलाएं। एकादशी के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। भगवान श्री हरि को पीले रंग के पुष्प, माला, वस्त्र, मिठाई अर्पित करें। गाय के घी का दीपक जलाएं। भगवान को पीले केसर या चंदन का तिलक लगाएं। एकादशी पर भगवान श्री हरि विष्णु तथा मां लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें पीले चंदन और केसर में गुलाब जल मिलाकर तिलक करें। इसी तिलक से स्वयं भी तिलक लगाएं। एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण को नारियल और बादाम का भोग लगाएं। इस व्रत में हर क्षण ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करते रहें। एकादशी उपवास में सभी तरह के अन्न का भोजन करना वर्जित होता है। द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर भगवान श्री हरि विष्णु को भोग लगाकर ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद स्वयं अन्न ग्रहण करें। एकादशी के दिन यथाशक्ति दान करना चाहिए। स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न ग्रहण न करें। एकादशी व्रत में पीला वस्त्र धारण करें। दूसरों के प्रति कटु वचन न बोलें। मन में दूषित विचार न लाएं। घर में सुबह और शाम को कर्पूर जलाएं। एकादशी और रविवार के दिन तुलसी पर जल न चढ़ाएं। एकादशी के दिन गेंदे का पौधा लाकर उसे छत पर रखें। ऐसा करने से भाग्योदय होता है।  

इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।