भगवान श्रीगणेश बुद्धि और शुभता के देवता हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत भगवान श्रीगणेश को समर्पित है। इस व्रत को सकट चौथ या तिल कूट चतुर्थी भी कहा जाता है। भगवान श्रीगणेश विघ्नहर्ता हैं और सभी देवी देवताओं में प्रथम पूजनीय है। सकट चौथ पर कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में आने वाले सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। घर में सुख समृद्धि का वास होता है और संतान की समस्त संकटों से रक्षा होती है।
सकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान श्रीगणेश की पुष्प, दूर्वा, लड्डू आदि से विधि-विधान से पूजा करें। संतान की लंबी आयु की कामना के साथ सकट चौथ व्रत की कथा सुनें। श्रीगणपति की पूजा में तिल के लड्डू, गुड़ रोली, मोली, चावल, तांबे के लोटे में जल, धूप और प्रसाद के रूप में केला और मोदक रखें। सकट पूजा में चंद्रमा को जल में दूध और अक्षत मिलाकर अर्घ्य प्रदान करें। इस व्रत में माताएं अपनी संतान की उन्नति और लंबी आयु की कामना के लिए व्रत करती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा पाठ करने से सुख-समृद्धि, धन, कीर्ति, ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करना बहुत शुभफलदायी है। सकट चौथ पर तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल से अभिषेक करें। शाम को चंद्रमा के उदय होने पर ही व्रत पूर्ण होता है। भगवान श्रीगणेश की पूजा में दूर्वा का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी को तिल चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन तिल से बनी चीजों का दान विशेष रूप से करना चाहिए। इस दिन घर के मंदिर में सफेद रंग के श्रीगणपति की मूर्ति की स्थापना करें और श्रीगणेश स्तोत्र का पाठ करें।
इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।