Hindustan Hindi News

उपासना और दान का उत्सव है मेष संक्रांति

सूर्यदेव, मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मेष संक्रांति कहा जाता है। मेष संक्रांति पर सूर्यदेव की उपासना, स्नान-दान का विशेष महत्व है। मेष संक्रांति के अवसर पर सत्तू का दान विशेष फलदायी माना जाता है। 

मेष संक्रांति पर पानी से भरा घड़ा दान करना बहुत शुभ माना जाता है। मेष संक्रांति के अवसर पर गुड़ का दान अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से शारीरिक पीड़ा दूर हो जाती है। मेष संक्रांति पर पंखे का दान भी फलदायी माना जाता है। मेष संक्रांति के दिन चने का दान करना या उसका सेवन करना फलदायी माना जाता है। स्नान-दान और तर्पण के लिए मेष संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर सूर्यदेव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही खरमास समाप्त हो जाता है। खरमास समाप्त होने से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन सूर्यपूजा का विशेष महत्व है। सूर्य पूजा से मान-सम्मान में वृद्धि होती है। मेष संक्रांति पर भगवान शिव, श्री हरि विष्णु और मां काली की पूजा का विधान है। इस अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। भगवान सत्यनारायण का पूजन करना चाहिए। उन्हें सत्तू का भोग लगाया जाता है। पितृ दोष से प्रभावित व्यक्ति को इस दिन दान अवश्य करना चाहिए। इस दिन गायत्री मंत्र का अधिक से अधिक समय जप करें। आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें। गाय को हरा चारा खिलाएं। किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं।

इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्था और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, इन्हें सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।