रमजान को अल्लाह की रहमतों का महीना कहा जाता है। पूरे साल हर मुसलमान इस पाक महीने का इंतजार करता है। रमजान के तीसरे अशरे में मुसलमान एतकाफ में बैठते हैं। एतकाफ को अल्लाह की खास इबादत माना गया है।
माह रमजान को दस-दस दिनों के तीन हिस्सों में बांटा गया है। हर अशरे का अलग महत्व है। पहला अशरा अल्लाह की रहमत का माना गया है। दूसरा अशरा गुनाहों की माफी का होता है और तीसरा अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है। तीसरे अशरे को सबसे खास बताया गया है। इसी में तमाम मुसलमान एतकाफ में बैठते हैं।
रमजान के आखिरी दस दिनों यानी तीसरे अशरे के दौरान मुसलमान एतकाफ में बैठते हैं। इस दौरान वह मस्जिद के किसी कोने में बैठकर अल्लाह की इबादत करते हैं और खुद को परिवार व दुनिया से अलग कर लेते हैं। महिलाएं एतकाफ के लिए घर के किसी कमरे के एक कोने में पर्दा लगाकर बैठती हैं। रमजान के आखिरी दस दिनों को बेहद खास माना जाता है। इन खास दिनों में एतकाफ में बैठकर मुसलमान अल्लाह की खास इबादत करते हैं। माना जाता है कि एतकाफ में बैठने वालों पर अल्लाह की खास रहमत होती है। अल्लाह उनके सारे गुनाहों को माफ कर देते हैं और उन्हें जहन्नुम की आग से बचाते हैं। एतकाफ में बैठने के बाद मन को नियंत्रित करके ज्यादा से ज्यादा समय अल्लाह की इबादत करनी चाहिए। एतकाफ के दौरान मोबाइल, लैपटॉप आदि से खुद को दूर रखकर अधिक से अधिक समय अल्लाह की इबादत की जाती है।