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भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय मार्गशीर्ष माह को अगहन नाम से जाना जाता है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि माहों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में बसंत मैं ही हूं। मार्गशीर्ष माह भक्ति और श्रद्धा से परिपूर्ण माह माना जाता है। इस माह धार्मिक कार्य विशेष फल प्रदान करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित इस माह से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। आइए जानते इनके बारे में। 

कहा जाता है कि इस मास में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना एवं मथुरा में निवास करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। मार्गशीर्ष माह में भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है। इस माह शंख की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस माह में शंख की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साधक पर धन की वर्षा होती है। समुद्र मंथन के समय समुद्र से 14 रत्न की प्राप्ति हुई जिनमें आठवें रत्न के रूप में शंख की प्राप्ति हुई। इस माह कान्हा को तुलसी, मोर पंख अर्पित करने से दोषों का नाश होता है। मार्गशीर्ष मास में गंगा में स्नान करने से रोग, दुख और दरिद्रता दूर होती है। मार्गशीर्ष माह में सप्तमी और अष्टमी तिथियों को मासशून्य तिथियां माना जाता है। इन तिथियों को कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। इस माह जीरे का सेवन करने से बचना चाहिए। इस माह जो व्यक्ति एक समय भोजन कर जरूरतमंदों को भोजन कराता है, उसे सभी प्रकार के रोग से मुक्ति प्राप्त होती है। मार्गशीर्ष मास में चांदी का दान करना उत्तम माना गया है। इस माह अन्न दान का भी विशेष महत्व है। गीता का ज्ञान मार्गशीर्ष माह में ही दिया गया था। इस माह सत्यनारायण की कथा का आयोजन करना चाहिए। 

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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