हिन्दू धर्म में गाय को मां की तरह पूजा जाता है। मान्यता है कि देवी और देवता गाय के अंदर निवास करते हैं। गायों को समर्पित गोपाष्टमी का त्योहार गोवर्धन पूजा के सात दिन बाद मनाया जाता है। गोपाष्टमी पर गाय की पूजा करने से खुशहाल जीवन और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस त्योहार को लेकर कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन के छठे वर्ष में कदम रखा तब वह मां यशोदा से जिद करने लगे कि वह अब गाय चराना चाहते हैं। उनके हठ के आगे मां यशोदा को हार माननी पड़ी और उन्हें नंद बाबा के पास आज्ञा लेने भेज दिया। उस दिन गोपाष्टमी थी। उसी दिन से भगवान श्रीकृष्ण को गोपाल व गोविंद नाम से भी जाना जाने लगा।
गोपाष्टमी के दिन नंद महाराज ने गायों और भगवान श्रीकृष्ण जी के लिए समारोह आयोजित किया। यह श्रीकृष्ण और बलराम के लिए गायों को पहली बार चराने के लिए ले जाने का दिन था। इस दिन गोशालाओं में गाय के पूजन के साथ धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नान आदि से निवृत होने के बाद सूर्यदेव की उपासना करें। घर के मंदिर में भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करें। भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। बाल गोपाल को सुगंधित फूलों वाले जल से स्नान कराएं। केसर मिश्रित दूध से भगवान का अभिषेक करें। भगवान श्रीकृष्ण को पीतांबरधारी कहा जाता है, इसीलिए बाल गोपाल को पीले चमकीले वस्त्र पहनाएं। फूलों से शृंगार करें। सिर पर मोर पंख के साथ मुकुट पहनाएं। बाल गोपाल के अभिषेक में गोमाता की मूर्ति भी रखें। गोमाता का अभिषेक करें। गोमाता को वस्त्र अर्पित करें। इस दिन किसी गोशाला में धन और हरी घास का दान अवश्य करें। गाय के दूध से बने घी, दही, मक्खन, पंचामृत का उपयोग करें। दीपक के लिए भी गाय के दूध से बने घी का उपयोग करें।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।