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जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है यह व्रत

प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को भगवान सूर्यदेव को समर्पित कामदा सप्तमी का पावन व्रत किया जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत की महिमा स्वयं भगवान ब्रह्मा जी ने भगवान श्री हरि को बताई थी। समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले इस व्रत के प्रभाव से स्वास्थ्य, धन, संतान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है। श्रद्धापूर्वक इस व्रत का पालन करने से जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

इस व्रत का प्रारंभ षष्ठी तिथि से हो जाता है। षष्ठी तिथि पर एक समय भोजन करें। सप्तमी तिथि को निराहार रहकर भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। इस व्रत में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होने के पश्चात स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तांबे के लोटे में जल में थोड़ा सा लाल सिंदूर, अक्षत, लाल फूल, थोड़ा सा तिल लेकर भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें। नैवेद्य, घी की दीपक, धूप जलाकर विधिवत आरती करें और सूर्यदेव से प्रार्थना करें। सूर्यदेव की पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान करें। इस व्रत में घी, गुड़ का दान किया जाता है। पूरे दिन ऊं सूर्याय नमः मंत्र का जाप कर भगवान का स्मरण करें। अष्टमी तिथि को स्नान आदि कर भगवान सूर्यदेव का स्मरण कर हवन पूजन करें। ब्राह्मणों का पूजन कर खीर खिलाने का विधान है। हर चार माह में इस व्रत का पारण करना चाहिए। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इसे अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से सलाह ले लें।