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दान पुण्य के इस त्योहार पर गंगासागर में लगता है मेला, पतंग उड़ाने से दूर हो जाते हैं दोष

मकर संक्रांति का त्योहार सूर्य पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसी दिन सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। इस दिन से बसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। इस दिन गंगा सागर में मेला लगता है। मकर संक्रांति पर सम्पूर्ण प्रकृति भगवान भास्कर का नमन करती है। योगी और ऋषियों ने इस दिन की महत्ता का उल्लेख अनेक शास्त्रों में किया है। 

मकर संक्रांति स्नान,दान, पूजा के साथ सुख और समृद्धि का पर्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए दान का पुण्य सौ गुना होकर प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा जी राजा भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। इसी दिन माता यशोदा ने कान्हा को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था। इस दिन गंगासागर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है। पतंग शुभ संदेश की वाहक मानी जाती है। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर पहली बार पतंग उड़ाने की परंपरा भगवान श्रीराम ने शुरू की थी। इस दिन पतंग को हवा में उड़ाकर छोड़ देने से सारे दोष और क्लेश समाप्त हो जाते हैं। भगवान श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई वह स्वर्गलोक में देवराज इंद्र के पास जा पहुंची थी। भगवान राम द्वारा शुरू की गई इसी परंपरा को आज भी निभाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन जरूरतमंदों को यथाशक्ति दान करना चाहिए। खिचड़ी का दान करना विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें। भगवान को तिल, गुड़, नमक, हल्दी, फूल, पीले फूल, हल्दी, चावल भेट करें। घी का दीप जलाएं और पूजन करें। सूर्यदेव को जल में गुड़ तिल मिलाकर अर्घ्य दें। इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। इस दिन नदियों के तट पर मेले लगते हैं। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य कर लें।