कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ माह माना गया है। भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी को कार्तिक मास बहुत प्रिय है। इसी माह भगवान श्री हरि चार माह की निद्रा से जागते हैं। कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर देवताओं को स्वर्ग पुनः प्रदान किया और इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण कर प्रलय काल में धरती पर जीवन की रक्षा की। इस दिन को देव दिवाली नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता धरती पर विराजते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए। आइए जानते हैं इनके बारे में।
कार्तिक पूर्णिमा पर काला तिल पानी में मिलाकर स्नान करना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन अवश्य करें। तुलसी के पौधे को माता लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी का पूजन करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करते समय पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालें और उससे स्नान करें। इस दिन मां लक्ष्मी को हल्दी अर्पित करें और हल्दी का तिलक माथे पर लगाएं। ऐसा करने से भाग्योदय होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पर लाल चुनरी चढ़ाएं और शृंगार की सामग्री अर्पित करें। कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर दूध अर्पित करें। कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के मुख्य द्वार पर हल्दी से दोनों ओर स्वास्तिक बनाएं। पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। शाम के वक्त तुलसी की जड़ में घी का दीपक जलाएं और माता तुलसी की जड़ की मिट्टी से माथे पर तिलक लगाएं। कार्तिक पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी का केसर की खीर का भोग लगाएं। यह खीर कन्याओं में प्रसाद के रूप में बांट दें। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाएं। कार्तिक पूर्णिमा पर किसी नदी के घाट पर दीप जलाने और दीपदान करने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।