अष्टमी तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली तिथि है। देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि सभी अष्टमी को पूजते हैं। इस पावन तिथि पर मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा शुभ फलदायी है। अष्टमी पर मां महागौरी का हर क्षण स्मरण करें।
अष्टमी के दिन माता के चरण अपने घर के दरवाजे पर बनाना चाहिए। ऐसा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। अष्टमी के दिन नारियल खाना निषेध है, क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है। इस दिन आंवला, तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना भी निषेध है। माता को नारियल का भोग लगा सकते हैं। अष्टमी को मां का पूजन कर भजन, कीर्तन, नृत्यादि कर उत्सव मनाना चाहिए। पूजा-हवन कर नौ कन्याओं को भोजन खिलाना चाहिए। हलुआ को प्रसाद के रूप में वितरित करना चाहिए। अष्टमी के दिन कुल देवी की पूजा के साथ मां काली, भद्रकाली और महाकाली की आराधना की जाती है। माता महागौरी मां अन्नपूर्णा का रूप हैं। इस दिन माता अन्नपूर्णा की पूजा होती है इसलिए अष्टमी के दिन कन्याओं को भोज और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। अष्टमी तिथि पर मां भगवती का पूजन करने से कष्ट, दुख मिट जाते हैं। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। मां की पूजा करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं। माना जाता है कि कन्या पूजन में आने वाली कन्याएं अपने साथ सौभाग्य और सुख-समृद्धि लेकर आती हैं। अष्टमी के पावन दिन तुलसी के पौधे के पास नौ दीपक जलाएं। इस दिन घर में हवन अवश्य करना चाहिए। अष्टमी की रात्रि को मां दुर्गा के मंदिर में जाकर उनके चरणों में आठ कमल के फूल अर्पित करने से विशेष लाभ होता है। इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।
इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।