प्रदोष तिथि को भगवान शिव की तिथि माना गया है। मान्यता है कि त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर डमरू बजाते हुए प्रसन्नचित होकर नृत्य करते हैं। सभी देवी-देवता भगवान शिव की स्तुति करने के लिए कैलाश पर्वत पर आते हैं। प्रदोष व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में चली आ रहीं परेशानियां दूर होती हैं। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। प्रदोष व्रत रोग, कष्ट से मुक्ति पाने के लिए बहुत लाभकारी माना गया है।
शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम व पवित्र समय प्रदोष काल बताया गया है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत उपासना करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान शिव को शुद्ध जल से फिर पंचामृत से स्नान कराएं। शाम के समय 11 गुलाब में चंदन का इत्र लगाएं। इसके बाद शाम के समय पति-पत्नी मिलकर इन गुलाबों को एक-एक कर शिवलिंग पर अर्पित करें। पूजन में भगवान शिव को सफेद रंग के और माता पार्वती को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। इस दिन बच्चों से मिठाई का दान कराएं। आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं तो प्रदोष व्रत के दिन महामृत्युंजय का जाप अवश्य करें। इस दिन दही में शहद मिलाकर भगवान शिव को भोग लगाएं। ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहें। शिव मंदिर में जाकर देसी घी का दीपक और तेल का दीपक जलाएं। परिवार में अगर किसी का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है तो प्रदोष व्रत में शाम को शिव मंदिर में जाकर भगवान को सूखा नारियल अर्पित करें। भगवान भोलेनाथ से परिजनों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें।
इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले लें।