पौष माह में आने वाली अमावस्या को पौष अमावस्या नाम से जाना जाता है। इस अमावस्या पर किए गए तर्पण, श्राद्ध से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। इस बार पौष अमावस्या शुक्रवार को होने के कारण मां लक्ष्मी की कृपा पाने का विशेष अवसर है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ कुछ उपाय करने से सुख-शांति की प्राप्ति होगी।
पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए एक लोटे में जल लेकर लाल रंग का फूल और काले तिल डाल दें। श्रद्धाभाव से पितरों का ध्यान करते हुए जल सूर्यदेव को अर्पित कर दें। पौष अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा करें। दोपहर में पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें। संध्या काल में पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। पौष अमावस्या पर मध्यरात्रि को मां लक्ष्मी की मूर्ति के समक्ष घी का दीपक जलाएं। इस दिन जरूरतमंदों को चावल, दूध, गर्म कपड़े आदि का दान करें। इस दिन पितरों के निमित्त जरूरतमंद लोगों को भरपेट भोजन कराएं। पौष अमावस्या पर अपने घर और कार्यस्थल की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। पौष अमावस्या के दिन सुईं को हाथ न लगाएं। इस दिन देर तक शयन न करें। भोजन में नमक का सेवन न करें। पौष अमावस्या के दिन बालों में तेल न लगाएं। इस दिन घर में नई झाड़ू लाने से बचें। तामसिक भोजन न करें। इस दिन घर में बनी पहली रोटी और हरा चारा गाय को खिलाएं। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीष प्राप्त होगा। इस दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है। पौष अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करें। इस दिन मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं। इस दिन किसी का अनादर न करें। इस दिन अपने पितरों के लिए उनका मनपसंद भोजन बनाएं। भोजन का पहला हिस्सा गाय को दें। दूसरा हिस्सा कुत्ते को और तीसरा कौवे को दें।
इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।