अमावस्या तिथि को बहुत महत्वपूर्ण तिथि माना गया है। इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन अक्षय फल प्रदान करने वाले माने जाते हैं। अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है। इस दिन पितरों के निमित्त दान-पुण्य अवश्य करें।
अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इस तिथि पर पितरों का नाम लेकर घी का एक दीया पीपल के वृक्ष के नीचे जलाकर रखें। अमावस्या के दिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें। अमावस्या के दिन वृक्ष, लता आदि को कभी न काटें। अमावस्या पर घर में हवन कराएं। अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा करें। पीपल के वृक्ष को जनेऊ व पूजन सामग्री अर्पित करें। अमावस्या के दिन स्नान-दान का अत्यधिक महत्व है। इस दिन अन्न, वस्त्र आदि का दान शुभ फल प्रदान करता है। अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को भोजन कराएं। संभव हो तो अमावस्या के दिन गंगा स्नान करें। अमावस्या की रात काले कुत्ते को रोटी में तेल लगाकर खिलाएं। ब्रह्मचर्य का पालन करें। अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर जल व दूध अर्पित करें। पितृ दोष से मुक्ति के लिए 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। अशुभ प्रभावों से बचने के लिए अमावस्या के दिन कंडे की धूनी दक्षिण दिशा में जलाएं। अमावस्या के दिन आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं ऐसा करने से भाग्योदय होता है।
इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, इन्हें सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।