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फाल्गुन मास में अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाते हैं और इनका समापन पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन के दिन होता है। होलाष्टक दो अलग-अलग शब्दों, होली और अष्टक से बना है, जो होली के आठ दिनों को दर्शाता है। होलाष्टक की अवधि के दौरान विवाह, नामकरण संस्कार, गृह निर्माण और अन्य संस्कारों या अनुष्ठानों से बचा जाता है। हरिण्यकशिपु ने भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए होली से आठ दिन पूर्व प्रयास शुरू कर दिए थे और भगवान लगातार अपने भक्त की रक्षा कर रहे थे। 

होलाष्टक के दौरान भगवान श्री हरि विष्णु का स्मरण करें। होलाष्टक में किया गया भजन, पूजा-पाठ, हवन-अनुष्ठान आदि बहुत फलदायी होता है। होलाष्टक के आठ दिनों में भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान श्री हरि के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है। यह समय ध्यान-साधना के लिए उचित माना जाता है। इन आठ दिनों में घर में सुख-शांति व समृद्धि के लिए राम रक्षास्तोत्र, विष्णु सहस्त्रनाम या हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। निसंतान दंपति को इन आठ दिनों के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के लड्डू गोपाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। होलाष्टक के दौरान जरूरतमंदों को दान अवश्य दें। संकटमोचन हनुमान जी और भगवान नरसिंह की उपासना करें। होलाष्टक के दौरान आदित्य हृदय स्तोत्र, सुंदरकांड या बगुलामुखी मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इसे अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से सलाह ले लें। 

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