माघ माह की अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है। इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन व्रत कर पितरों का आशीर्वाद लिया जाता है। इस अमावस्या को पूर्वजों के पर्व के तौर पर देखा जाता है। इस दिन दान जप तप और स्नान का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन वास्तु में बताए कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए।
मौन भी एक प्रकार की तपस्या मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार जो मौन रहकर अपना जीवन व्यतीत करता है, उसे मुनि कहा जाता है। इस दिन किया गया दान सीधे हमारे पूर्वजों को मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान करने से पूर्व मौन व्रत धारण करना चाहिए। घर में पितरों की तस्वीर लगाना चाहते हैं तो मौनी अमावस्या का दिन सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराएं। भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करें। श्रीयंत्र स्थापित कर सकते हैं। ऐसा करने से घर में धन की कमी नहीं रहती है। मौनी अमावस्या के दिन पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें। कपूर, चंदन का धुआं करें। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है। मौनी अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र आदि का दान दें। मान्यता है कि इस दिन जो भी दान हम करते हैं वह सीधा हमारे पितरों को मिल जाता है। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर पितरों के नाम का दीपक दक्षिण दिशा की ओर जलाएं। आटे में तिल मिलाकर रोटी बनाएं और गाय को खिलाएं। मौनी अमावस्या के दिन चांदी, दही, चावल, खीर और सफेद वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है। मौनी अमावस्या के दिन आप छत और सीढ़ियों की साफ सफाई करें। घर के दरवाजे पर स्वास्तिक का निशान बनाएं। इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण कर भगवान और पितरों का स्मरण करें।
इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।