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बसंत पंचमी पर मांगलिक योग में पुण्यकारी होंगे कार्य

माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह माता सरस्वती का प्राकट्योत्सव है। इसलिए इस दिन विशेष रूप से माता सरस्वती की पूजा उपासना कर उनसे विद्या बुद्धि प्राप्ति की कामना की जाती है। इसलिए विद्यार्थियों के लिए बसंत पंचमी का विशेष महत्व होता है। 

शास्त्रोक्त दृष्टि से बसंत पंचमी का पूजन सूर्योदय के समय किया जाता है। इसलिए जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय के समय उपस्थित होती है। उसी दिन बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। 26 जनवरी को पंचमी तिथि सूर्योदय के समय से ही उपस्थित रहेगी इसलिए 26 जनवरी गुरुवार को ही बसंत पंचमी मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार बसंत पंचमी पूजन का समय 26 जनवरी को पंचमी उदय तिथि होने के कारण पूरे दिन ही पंचमी मान्य होगी लेकिन गणना की दृष्टि से सुबह 7 बजकर 16 मिनट पर सूर्योदय होगा और सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक पंचमी तिथि उपस्थित रहेगी। इसलिए बसंत पंचमी के पूजा का विशेष समय सुबह 7:16 से 10:28 के बीच रहेगा। बसंत पंचमी को विशेष रूप से सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन का एक और विशेष महत्व भी है। बसंत पंचमी को मुहूर्त शास्त्र के अनुसार स्वयं सिद्ध मुहूर्त और अनसूझ साया भी माना गया है। ऐसे में इस दिन कोई भी शुभ मंगल कार्य करने के लिए पंचांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती। इस दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, व्यापार आरम्भ करना, सगाई और विवाह आदि मंगल कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन किए गए सभी शुभ कार्य सफल होते हैं इसलिए अपने महत्वपूर्ण कार्यों के लिए भी आप इस दिन का बहुत अच्छा उपयोग कर सकते हैं। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह ले लें।