नाग जाति के प्रति श्रद्धा भाव एवं सम्मान का प्रतीक माना जाता है नाग पंचमी का पावन पर्व। इस साल 21 अगस्त के दिन यह त्यौहार मनाया जाएगा। सावन मास के सोमवार के दिन पड़ने के कारण नाग पंचमी तिथि इस बार बेहद ही पुण्यदायक मानी जा रही है, जिस कारण से इस तिथि का महत्व काफी बढ़ जाता है। इस दिन मंत्रों का जाप, कुछ उपाय तथा ईश्वर की आराधना करने के साथ-साथ रुद्राभिषेक करने से सर्प दोष सहित कई दोषों से मुक्ति पायी जा सकती है।
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शुभ मुहूर्त
इस वर्ष यह नाग पंचमी का पर्व सोमवार 21 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा। वहीं, पंचमी तिथि रविवार को 20 अगस्त के दिन रात में 9:03 मिनट पर लग जाएगी, जो 21 अगस्त को रात में 9:54 बजे तक रहेगी। उदय कालिक तिथि के मान्यतानुसार 21 अगस्त को पंचमी तिथि मनाई जाएगी। इस दिन गृह द्वार पर सर्पाकार बनाकर जल से अभिषेक करें। इसके बाद घी और गुड़ चढ़ाएं।
वहीं, ज्योतिर्विद् पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि नाग पंचमी के दिन प्रत्येक व्यक्ति को अपनी राशि एवं लग्न के अनुसार प्रति वर्ष कम से कम एक वृक्ष या पौधा अवश्य लगाना चाहिए, जिससे जीवन में सुख सम्पन्नता आदि बढ़ती रहे-
मेष राशि – नीम एवं मदार
वृष राशि – आम एवं गूलर
मिथुन राशि – आम एवं पीपल
कर्क राशि – नीम एवं बरगद
सिंह राशि – नीम एवं आम
कन्या राशि – गूलर एवं आम
तुला राशि – नीम एवं शमी
वृश्चिक राशि – नीम ,पीपल एवं मदार
धनु राशि – पीपल एवं आम
मकर राशि – शमी एवं गूलर
कुम्भ राशि – शमी ,पाकड़ एवं बरगद
मीन राशि – पीपल ,आम एवं नीम
शुभ उपाय
ज्योतिषीय दृष्टि से जिन लोगों की जन्म कुण्डली में लग्न भाव से द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, अष्टम, नवम, द्वादश में हों, उन्हें इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए। वहीं, इस दिन नाग देवता के पूजन से कुण्डली में विद्यमान सर्प योग सहित समस्त ग्रहों की अशुभता को शुभता में परिवर्तित किया जा सकता है। इस दिन रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, काल सर्प पूजन आदि किया जाना फलदायक होता है |
नाग पंचमी के दिन नागों के 12 नामों का जप करने से नाग देवता को प्रसन्न कर सकते हैं-
अनंत । वासुकी । शेष । पदम। कंवल। अश्वतर । कर्कोटक | शंखपाल । धृतराष्ट्र । तक्षक । कालिया । पिंगल ।
साथ ही “ॐ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा” इस मंत्र का यथा शक्ति जप करना भी विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है।
क्या न करें?
दूध पिलाने से नागों की मृत्यु हो सकती है। इसलिए उपासना के दिन नागों को दूध नहीं पिलाना चाहिए। इस दिन नागों को दूध पिलाना अपने हाथों से नाग देवता की जान लेने के समान माना जाता है। इसलिए भूलकर भी ऐसी गलती करने से बचना चाहिए। इससे श्रद्वा व विश्वास के शुभ पर्व पर जीव हत्या करने से बचा जा सकता है। उपासक चाहें तो शिवलिंग पर दूध चढ़ा सकते हैं।
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हिन्दू शास्त्रों में नाग पंचमी का महत्त्व
शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि के देव सर्प यानी नाग देव है । इसलिए प्रत्येक माह की पंचमी तिथि को नाग देवता या सर्प दोष की पूजा की जाती है | श्रावण माह की प्रत्येक तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है। इसी कारण से श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। नाग देवता सदा भगवान भोलेनाथ के गले में विद्यमान रहते हैं। दत्तात्रेय के 24वें गुरु नाग देवता ही हैं। नाग पंचमी के दिन इनकी पूजा विशेष रुप से की जाती है एवं प्रत्येक वर्ष पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ यह पवित्र पर्व मनाया जाता है | इस दिन नागों की सुरक्षा करने का भी संकल्प लिया जाता है।
नागों के पूजन की परम्परा हमारे यहां प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसका प्रमाण इतिहास की सबसे प्राचीन सभ्यताों में भी मिलता है, जिसमें मोहनजोदडों, हडप्पा और सिंधु सभ्यता शामिल हैं। वहीं, इन प्राचीन सभ्यताओं के अलावा मिस्त्र की सभ्यता में भी नाग-नागिन की पूजा का जिक्र मिलता है। यहां आज भी नाग पूजा को मान्यता प्राप्त है। मिश्र में शेख हरेदी नामक पर्व मनाया जाता है, जो सर्प पूजा से जुडा हुआ पर्व है।
नाग पंचमी की कथा
पुराणों की कथा के अनुसार, इस दिन नाग जाति का जन्म हुआ था। महाराजा परीक्षित को उनका पुत्र जनमेजय जब तक्षक नाग के काटने से नहीं बचा सका तो जनमेजय ने सर्प यज्ञ कर तक्षक को अपने सामने पश्चाताप करने के लिए मजबूर कर दिया था। तक्षक के द्वारा क्षमा मांगने पर उन्हें क्षमा कर दिया तथा यह कहा गया की श्रावण मास की पंचमी को जो लोग नाग देवता का पूजन करेंगे उन्हें नाग या सर्प दोष से मुक्ति मिलेगी |