सोमवार को प्रदोष तिथि आने पर इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत संतान प्राप्ति की कामना के लिए रखा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से दोष, रोग, शत्रु दूर हो जाते हैं। सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यदि मन में घबराहट बनी रहती हो और चित्त शांत ना रहता हो तो प्रति माह इस कल्याणकारी व्रत को जरूर करना चाहिये।
सोम प्रदोष व्रत करने वाले साधक पर भगवान शिव की कृपा बरसती है। सच्चे मन से प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों का दान करने के बराबर मिलता है। प्रदोष व्रत में बिना कुछ खाए उपवास रखने का विधान है। यह संभव न हो तो एक बार फल खाकर उपवास कर सकते हैं। सोम प्रदोष व्रत रखने से चंद्र ग्रह के दोष दूर होते हैं। सोम प्रदोष व्रत में व्रतधारी को सुबह स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान करा बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची अर्पित करें। भगवान शिव को घी और शकर मिले मिष्ठान्न या मिठाई का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। रात्रि जागरण करें। भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करें। पूरे दिन मन ही मन ऊं नम: शिवाय का जाप करें। सोम प्रदोष व्रत में भगवान शिव का अभिषेक रुद्राभिषेक और उनका शृंगार करने का बहुत महत्व है।
इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।