नवरात्रि में अष्टमी के दिन मां महागौरी की उपासना की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में अगर नौ दिन तक व्रत न कर पाएं तो अष्टमी और नवमी के दिन व्रत रखकर देवी मां का उपासना करने से पूरे नौ दिन की पूजा का फल प्राप्त होता है। मन को शुद्ध भाव से एकाग्रचित कर माता का ध्यान करें। मां महागौरी अपने भक्तों के कष्ट अवश्य दूर करती हैं। मां की साधना से कोई भी कार्य असंभव नहीं रह जाता। मां की साधना से मिलने वाली शक्ति अमोघ और फलदायिनी हैं।
मां महागौरी को जामुनी रंग प्रिय है। अष्टमी के दिन जामुनी रंग के वस्त्र पहनकर मां की पूजा करें। माता के वस्त्र चन्द्रमा के समान चमकीले श्वेत हैं। माता महागौरी अत्यंत शांत मुद्रा में हैं। माता की कृपा से आलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। माता की उपासना से दुख, कष्ट, रोग और दरिद्रता दूर होती है। माता की कृपा से पूर्वजन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। सुहागिन महिलाएं देवी मां को शृंगार अर्पित करें। अष्टमी के दिन मां को लाल रंग की चुनरी भेंट करें। नारियल का भोग लगाएं। मां को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें और शहद का भोग लगाएं। मां को रोली कुमकुम लगाकर पांच प्रकार के फल और मिष्ठान अर्पित करें । इस दिन कन्याओं की पूजा करें। कन्याओं को भोजन कराकर उनको दक्षिणा दें। अष्टमी के दिन मां महागौरी को लौंग की माला और लाल गुलाब के फूल की माला अर्पित करें।
इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।