दस रोजों के साथ मुकद्दस रमजान का पहला अशरा पूरा हो गया। दूसरा अशरा शुरू हो गया है। दूसरे अशरे को मगफिरत का अशरा कहा जाता है। इस अशरे में रोजेदार रोजे रखकर अल्लाह से मगफिरत की दुआ मांगते हैं।
रमजान का हर दिन बड़ा ही कीमती होता है। रमजान का चांद दिखते ही शैतान को कैद कर दिया जाता है। इस पाक महीने में सवाब का दर्जा सत्तर गुना अधिक हो जाता है। इस्लाम के मुताबिक रमजान के महीने को दस-दस दिन के तीन अशरों में बांटा गया है। पहले दस दिन रहमत का अशरा होता है। दस रोजे पूरे होने पर रमजान का पहला अशरा पूरा हो गया। रमजान का दूसरा अशरा मगफिरत का अशरा शुरू हो गया। दूसरा अशरा रमजान के 20वें रोजे के सूरज डूबने तक रहेगा। दूसरे अशरे में रोजेदार रोजे रखकर अल्लाह से मगफिरत की दुआ करते हैं। इस दौरान अल्लाह से अपने गुनाहों की तौबा की जाती है। इस अशरे में अल्लाह से मगफिरत की दुआ करनी चाहिए। अल्लाह से अपने गुनाहों की तौबा की जाती है।