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मोक्ष प्रदान करने वाले इस व्रत से बढ़कर और कोई उपवास नहीं

मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। यह व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला तथा समस्त कामनाएं पूर्ण करने वाला है। कहा जाता है कि इस व्रत से बढ़कर मोक्ष प्रदान करने वाला और कोई व्रत नहीं है। इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। एकादशी स्वयं विष्णु प्रिया हैं। इस दिन व्रत जप-तप पूजा पाठ करने से मनुष्य जीवन-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। 

इस एकादशी के माहात्म्य के पाठन और श्रवण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पाप क्षीण हो जाते हैं। इस दिन श्रीमदभगवत गीता की सुगंधित फूलों से पूजा कर, गीता का पाठ करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी के दिन लोग पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं। इस दिन विधिवत तरीके से भगवान श्री हरि की पूजा अर्चना करें। पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन करें। पीला चंदन, रोली, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतु फल एवं धूप-दीप, मिश्री आदि से भगवान श्री हरि का भक्ति भाव से पूजन करें। एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ना वर्जित है, इसलिए एक दिन पहले ही तुलसी तोड़ कर रख लें। एकादशी पर रात्रि में भजन-कीर्तन कर भगवान की स्तुति करें। एकादशी का व्रत रखने वालों को अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करना चाहिए। इस दिन चावल का सेवन भूलकर भी न करें। जौ, मसूर की दाल, बैंगन का सेवन न करें। एकादशी के दिन केले के वृक्ष की पूजा करना फलदायी माना जाता है। इस व्रत में हर क्षण ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें। इस दिन गो माता को चार खिलाएं। पीले वस्त्र और पीली चीजें भगवान श्री हरि विष्णु को बहुत प्रिय हैं। मोक्षदा एकादशी के दिन पीली वस्तुओं का दान करना बहुत शुभ माना गया है। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।