श्रावण मास का छठा सोमवार अति पुण्यदायक, करें ये उपाय, शिवजी की बरसेगी कृपा

श्रावण मास का छठा सोमवार कृष्ण पक्ष में होने की वजह से इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। इस दिन मास शिवरात्रि का विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्ध योग पूर्वाह्न 11:06 बजे लग जाएगा। त्रयोदशी तिथि प्रातः 10:26 बजे तक रहेगी एवं पूनर्वसु नक्षत्र पूर्वाह्न 11:07 बजे तक रहेगा। उसके बाद पुष्य नक्षत्र आरम्भ होगा। सिद्ध योग दोपहर 04:40 बजे रहेगा। इस दिन कर्क राशि का चंद्र एवं मेष राशि में गोचर में विराजमान गुरुदेव बृहस्पति का गज केशरी योग भी पूजा पाठ के शुभ फल को और अधिक बढाएंगे। इस दिन उदया तिथि और जया तिथि होने के कारण भी अधिक शुभ फल प्रदाता है। श्रावण मास के उपरोक्त शुभ योगों में शिवार्चन, प्रदोष पूजन आदि का अतिशुभ फल प्राप्त होगा।

शिवलिंग पर अर्पित करें ये चीजें-
1- जल
2- दूध
3- इत्र
4- दही
5- भांग
6- चंदन
7- शहद
8- चीनी
9- केसर
10- देसी घी

इस पावन दिन श्री रुद्राष्टकम का पाठ करें। श्री रुद्राष्टकम का पाठ करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आगे पढे़ं श्री रुद्राष्टकम…

श्री रुद्राष्टकम
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌ ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥
 
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्‌ ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्‌ ॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्‌ ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
 
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्‌ ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
 
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्‌ ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्‌ ॥
 
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्‌ ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
 
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम्‌ सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्‌ ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
 
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।। 
 
॥  इति श्रीगोस्वामीतुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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