भगवान हनुमान सबसे व्यापक रूप से पूजे जाने वाले देवताओं में से एक हैं। भगवान हनुमान अमर हैं और पृथ्वी पर मौजूद हैं। भगवान ब्रह्माजी ने उन्हें लंबे जीवन का वरदान दिया। अपने शरीर को इच्छा अनुसार बदलने की क्षमता दी। वरुणदेव ने उन्हें जल से सुरक्षा प्रदान की। अग्निदेव ने उन्हे अग्नि से प्रतिरक्षा प्रदान की। भगवान श्रीराम ने उन्हें अमरता का वरदान दिया ताकि वह दुनिया के अंत तक भक्तों की रक्षा कर सकें।
हनुमान जी को केसरिया रंग प्रिय है। उनका असली नाम मारुती है। बचपन में उन्होंने सूर्य को निगल लिया तब देवराज इंद्र ने वज्र से उनकी ठुड्डी पर प्रहार किया, इसके बाद उनका जबड़ा बिगड़ गया तब से उनका नाम हनुमान रख दिया गया। महाभारत में कुंती पुत्र भीम को उनका भाई बताया गया है। भगवान श्रीराम ने वरदान दिया कि जो लोग सिंदूर से हनुमान जी की पूजा करेंगे, उनकी सभी कठिनाइयां दूर हो जाएंगी। भगवान हनुमान जी उन चार लोगों में से थे जिन्होंने पहली बार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा भागवद गीता को सुना था। अन्य तीन अर्जुन, संजय और बर्बरीक हैं। हनुमान जी के संस्कृत में 108 नाम वर्णित हैं। भगवान शनि ने वरदान दिया कि जो कोई भी हनुमान जी की पूजा करेगा, उनकी परेशानियों का अंत होगा। हनुमान जी ने भगवान सूर्य से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने ही सूर्य नमस्कार की खोज की। हनुमान जी ने रामायण लिखी और इसे हिमालय के पहाड़ों पर अपने नाखूनों से उकेरा था। यम ने उन्हें स्वास्थ्य और अजेयता का वरदान दिया। कुबेर ने उन्हें वरदान दिया कि वे युद्ध में कभी थकेंगे नहीं। हनुमत कृपा पाने के लिए श्री राम के नाम का जाप अवश्य करें। श्रीराम का नाम सुनते ही वह दौड़े चले आते हैं। भीम और अर्जुन ने द्वापर युग में हनुमानजी के दर्शन किए थे। कलियुग में तुलसीदास जी, भक्त माधवदास, बाबा नीम करोली, राघवेन्द्र स्वामी आदि कई लोगों ने उनके साक्षात दर्शन किए हैं। जगन्नाथपुरी की रक्षार्थ भी वह वहां विराजमान हैं।
इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।