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माघ मास की ऐसी महिमा है कि इस माह मां गंगा का नाम लेकर स्नान करने से भी गंगा स्नान के समान पुण्य प्राप्त हो जाता है। माघ माह में स्नान, दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। माघ मास में भगवान श्री हरि विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करना सरल होता है। माघ माह या माघ पूर्णिमा को प्रयाग के संगम में स्नान करने का भी विशेष महत्व माना गया है। 

माघ माह में प्रयागराज में संगम के तट पर निवास को ‘कल्पवास’ कहा जाता है। कल्पवास के दौरान मंदिरों, आश्रमों, नदी के तट पर सत्संग, प्रवचन के साथ पुराण कथाओं का आयोजन होता है। कल्पवास पौष शुक्ल एकादशी से आरम्भ होकर माघ शुक्ल द्वादशी तक रहता है। संयम, अहिंसा एवं श्रद्धा कल्पवास का मूल आधार है। कल्पवास के दौरान हवन, दान करना चाहिए। ऐसा करने से पापों का नाश होता है। माघ माह में भगवान श्री हरि विष्णु, सूर्यदेव और मां गंगा की पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व है। माघ माह में गंगा-यमुना किनारे माघ मेले प्रारंभ हो जाते हैं। कल्पवास के समय प्रयागराज में संगम में स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। मान्यता है कि माघ माह की पूर्णिमा के दिन जल और वातावरण में विशेष ऊर्जा आ जाती है। माघ माह में देवता प्रयाग में स्नान करने के साथ दान और जप करते हैं। कल्पवास के समय एक समय ही भोजन करें। माघ माह में काला तिल जल में मिलाकर स्नान करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें। 

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