श्री हनुमंत शक्ति और ऊर्जा के प्रतीक हैं। चैत्र माह की पूर्णिमा पर भगवान श्रीराम की सेवा के उद्देश्य से भगवान शंकर के 11वें रुद्र ने हनुमान जी के रूप में जन्म लिया, इसलिए हनुमान जन्मोत्सव का त्योहार मनाया जाता है।
इस दिन भक्त हनुमानजी की मूर्ति पर तेल, टीका एवं सिंदूर चढ़ाएं। उपवास रखें। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन जो भी व्यक्ति हनुमानजी की भक्ति और दर्शन करता है, उसके सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। भक्त प्रातः काल से ही भगवान हनुमान के पूजा व दर्शन के लिए मंदिरों में जाते हैं। हनुमान जन्मोत्सव पर प्रातः जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें। हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी की मूर्ति को सिंदूर अर्पित करें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करें और जरूरतमंदों को दान करें। हनुमान जी के साथ भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा करें। हनुमान जी को लाल चंदन, अक्षत्त, मौली, फूल, धूप-दीप, वस्त्र, फल, पान आदि वस्तुएं अर्पित करें। सुंदरकांड, हनुमान अष्टक और बजरंग बाण का पाठ करें। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। हनुमान जी को सिंदूर बहुत प्रिय है, इसलिए हनुमान जयंती पर उन्हें इसी रंग के वस्त्र अर्पित करें। हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें। आरती के साथ पूजा संपन्न करें और प्रसाद वितरित करें।
इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्था और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।