माघ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी या सकट चौथ का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीगणेश की पूजा का महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने श्रीगणेश का शीश काटने के बाद उन्हें गजशीश लगाकर पुनर्जीवित किया था और गजानन के रूप में श्रीगणेश का पुनर्जीवन आरंभ हुआ। तभी से इस दिन को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि यह त्योहार सभी संकटों का हरण करने वाला है। इसलिए यह संकट चौथ या सकट चौथ नाम से प्रसिद्ध है। सकट चौथ व्रत में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है। ज्योतिषविदों के अनुसार इस बार चंद्रोदय के समय चतुर्थी तिथि 10 जनवरी को ही उपस्थित रहेगी। इसलिए 10 जनवरी के दिन सकट चौथ व्रत किया जाएगा। सकट चौथ के दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। भगवान श्रीगणेश के आशीर्वाद से जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है। इस दिन माताएं भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत रखती हैं। संतान की रक्षा, दीर्घायु और उन्नति के लिए प्रार्थना करती हैं। सकट चौथ व्रत का परायण चन्द्र दर्शन और चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। ऐसा करने से संतान की सभी कष्टों से रक्षा होती है l सकट चौथ के दिन तिल और गुड़ से तिलकुट बनाकर भगवान श्रीगणेश को भोग लगाने की परंपरा है। बुद्धिपरक कार्य करने वाले सभी लोगों के लिए भी इस दिन भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत और पूजन करना शुभ परिणाम देने वाला होता है। सकट चौथ के दिन मोतीचूर के लड्डू किसी भी मंदिर में भगवान श्रीगणेश को अर्पित करें। फिर प्रसाद स्वरूप सभी लोगों में बांट दें। ऐसा करने से जीवन में चल रही बाधाएं दूर हो जाएंगी।
इस आलेख में दी गईं जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह अवश्य ले लें।