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सूर्यदेव को समर्पित इस पर्व पर दान करने से खुल जाते हैं मोक्ष के द्वार

फाल्गुन माह में कुंभ संक्रांति के दिन सूर्यदेव का राशि परिवर्तन होता है। सूर्यदेव मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं, यह कुंभ संक्रांति कहलाती है। पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी का जितना महत्व शास्त्रों में माना गया है, उतना ही महत्व संक्रांति तिथि का भी माना गया है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा उपासना करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। 

कुंभ संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति के दिन विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा करें और उनके लिए व्रत करें। इस दिन काले तिल का दान करने का विधान है। संक्रांति के दिन जरूरतमंदों को दान करें, भोजन कराएं। घर के मुख्य दरवाजे पर घी के दीपक जलाएं। ऐसा करने से भगवान श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान श्रीहरि विष्णु को स्मरण कर अपने दिन की शुरुआत करें। स्नान आदि के बाद पीला वस्त्र धारण कर भगवान भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, तिल, जौ, अक्षत और दूर्वा आदि से करें। आरती अर्चना कर भगवान से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। गायों को चारा खिलाएं। अन्न दान करें। कुंभ संक्रांति के दिन विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा और व्रत करें। मान्यता है कि संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता, दरिद्रता उसे कई जन्मों तक घेरे रहती है। इस दिन भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करें, सूर्य चालीसा पढ़ें। वस्त्र दान करें। 

इस आलेख में दी गईं जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।